Saturday, August 8, 2009

साँसे गयी महक

ये कौन आया
साँसे गयी महक
नजरें गयी बहक
वर्षों के ताले तोड़ के
खामोशी गयी चहक
दिल का तार झनझनाया
ये कौन आया ।
अश्क गए ठहर
रुकने लगा पहर
झोंके हवा के थाम के
आँचल रहा मचल
साँसों ने गीत गाया
ये कौन आया ।।



2 comments:

  1. वाह वाह क्यां बातां! आण दो.

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  2. बहुत खूबसूरत कविता है , बधाई और अगली रचना कि प्रतीक्षा में.

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