नजरें गयी बहक
वर्षों के ताले तोड़ के
खामोशी गयी चहक
दिल का तार झनझनाया
ये कौन आया ।
अश्क गए ठहर
रुकने लगा पहर
रुकने लगा पहर
झोंके हवा के थाम के
आँचल रहा मचल
साँसों ने गीत गाया
ये कौन आया ।।
आँचल रहा मचल
साँसों ने गीत गाया
ये कौन आया ।।
[ ब्लॉग निर्माणाधीन है असुविधा के लिए खेद है ]
वाह वाह क्यां बातां! आण दो.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत कविता है , बधाई और अगली रचना कि प्रतीक्षा में.
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